कुछ नया नहि था
रोज देखती हु
मगर आज कुछ अलग दिखा
थोडा सा गुस्सा थोडा सा गुरुर
बहोत सारे समजोते बहोत सारे ख्वाब
मगर आज मुजसे अपने आप से नजर नही मीली
एसा क्या हो गया मुजसे
थोडा सोचने के बाद पता चला
आज फिर एक समजोता हुआ था ख्वाब के आगे
एक बार फिर ख्वाब पीछे रेह गया
एक बार फिर कुछ छुट गया.
wah...👌
ReplyDeleteThank you...
DeleteGood one dear .
ReplyDeletePle keep Writing ........
😊👍
Sure
DeleteThank you.
ख्वाबो की दास्तान
ReplyDeleteक्या खूब दिखाई तेरे ल्बजो ने ......👌
ख्वाबो की दास्तान
ReplyDeleteक्या खूब दिखाई तेरे ल्बजो ने ......👌
आभार.
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